भारत की कला और संस्कृति क्या है?


भारत की कला और संस्कृति क्या है? | भारत देश की कला और संस्कृति 

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भारत देश में भरतनाट्यम दक्षिण भारत के तमिनाडु राज्य का एकल शास्त्रीय नृत्य है जिसे विशेष रूप से महिलाओ द्वारा किया जाता है । और भारत देश की श्रत्रिय संगीत की दक्षिण भारतीय शैली कर्णाटक संगीत कहलाती है , कर्णाटक संगीत का जनक पुरंदर दास है । और त्यागराज , मुत्थुस्वामी तथा श्याम शास्त्री कर्णाटक संगीत के त्रिरत्न कहलाते है । भरतनाट्यम के प्रमुख घराना है मैसूर , तंजौर , कांचीपुरम , और पांडुनलुर यह है, लीला सैसम , मृणालिनी साराभाई , यामिनी कृष्ण मूर्ति भरतनाट्यम के कलाकार है । और कथकली की गीतों की भाषा मलयालम है । कत्थक उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है । और पंडित लच्छू महाराज , पंडित बिरजू महाराज , सितारा देवी कत्थक के प्रमुख कलाकार है । कुचिपुड़ी आंध्रा प्रदेश का शारत्रीय नृत्य है । वल्लत्तोल नारायण मेनन , आनंद शिवरामन , कृष्णन कुट्टी कथकली के कलाकार है । ओडिसी ओडिसा का शास्त्रीय नृत्य है । सोनल मानसिंह , केलुचरण महापात्र , दोना गांगुली का सम्बन्ध ओडिसी नृत्य से है । भारतीय शास्त्रीय नृत्य में 9 रस होते है । मोहिनीअट्टम केरल राज्य का शास्त्रीय नृत्य है । और यक्षगान कर्णाटक राज्य का प्रमुख लोक नृत्य है । मयूरभंज का छाओं युद्ध सम्बन्धी नृत्य है , यक्षगान में नृत्य और गान का संगम होता है , जात्रा पश्चिम बंगाल का नोकनृत्य है । तथा सबसे पुराना और प्राचीनतम वाद्य यंत्र विणा है , राग भैरवी प्रात: काल गया जाता है । राग मिया की मल्हार तानसेन की रचना है और हरी प्रसाद चौरसिया एक बाँसुरी वादक है । बिस्मिल्लाह खान शहनाई से सम्बंधित है । और अहमद अली खा प्रसिद्ध सरोद वादक है तथा शिवकुमार शर्मा का सम्बन्ध संतूर वादक से है । सितार का जनक आमिर खुसरो कहलाते है । और पंडित भीमसेन जोशी गायन से सम्बंधित है । मुक्तेश्वर मंदिर स्थित है ओडिसा राज्य में , लिंगराज मंदिर स्थित है भुवनेश्वर ओडिसा में तथा खजुराओ के मंदिर स्थित है मध्य प्रदेश राज्य में जो की नागर शैली पर आधारित या उदाहरण है । नागर शैली का विकास गुप्त काल में तथा गांधार शैली का कुषाण काल में हुआ । तथा कांची का कैलास मंदिर , तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर , तमिलनाडु का मीनाक्षी और तिरुपति मंदिर द्रविड़ शैली का उदाहरण है । और नागर एवं द्रविड़ शैली के मिश्रित रूप वेसर शैली कहलाता है । होयसलेश्वर जो की स्थित है हलेबिड में और वैष्णव मंदिर स्थित है वृन्दावन में जो की वेसर शैली के उदाहरण है । मधुबनी चित्रकला बिहार से सम्बंधित है । तथा बनी- ठनी किशनगढ़ शैली से सम्बंधित है। और सरोद में 19 तार होते है ।


गाँधी युग : एक दृष्टी में 

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तो मोहनदास करमचंद गाँधी जिन्हे की महात्मा गाँधी के नाम से भी जाना जाता था इनका जन्म हुआ था 2 अक्टूबर 1869 के साल में गुजरात प्रान्त के पोरबंदर नामक स्थान में , और इनकी माताजी का नाम था पुतलीबाई तथा पिताजी का नाम था करमचंद गाँधी और इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गाँधी था । और इनके जन्म तिथि 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के तौर पर मनाई जाती है , तथा पुण्य तिथि 30 जनवरी को मनाई जाती है शहीद दिवस के रूप में , वे 1893 में एक मुकदमे के पैरवी में दक्षिण आफ्रिका गए तथा 1915 में वापस आ गए । गांधीजी लियो टॉलस्टॉय से प्रभावित हुआ थे और गांधीजी के राजनितिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले को माना जाता है , और गांधीजी ने 1906 के साल में दक्षिण अफ्रीका में ही सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया था । गांधीजी ने भारत देश में सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 के साल में बिहार राज्य के चम्पारण से शुरू किया था । और सर्वप्रथम रविंद्रनाथ टैगोर ने गाँधी जी को महात्मा की उपाधि दी और सुभाषचंद्र बोस ने गांधीजी को राष्ट्रपिता कह कर सम्बोधन किया था । गांधीजी ने खिलापत आंदोलन तथा जलियावाला बाग कांड तथा रौलट एक्ट के विरोध में 1920 के साल में असहयोग आंदोलन शुरू किया था । चौरी- चौरा कांड जो की 5 फरवरी 1922 के दिन हुआ था और इसी घटना से प्रभावित , दुखी होकर गांधीजी ने 11 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन को स्थगिती दी , जलियावाला बाग कांड 13 अप्रैल 1919 के दिन घटित हुआ था और इसके विरोध में गांधीजी ने 1920 में ‘केसर ए हिन्द’ की उपाधि लौटा दी थी। गांधीजी ने 1919 के साल में यंग इंडिया व नवजीवन तथा 1933 में हरिजन का प्रकाशन किया । और 1924 के एकमात्र बेलगाव अधिवेशन जो की कर्नाटक राज्य में वह कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे । गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को 78 अनुयायिओं के साथ दांडी यात्रा आरम्भ की थी 6 अप्रैल 1930 में इन्होने 388 किलो मीटर की यात्रा में नमक बनाकर नमक कानून को तोडा तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुवात की और 7 अप्रैल 1934 को गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को समाप्त कर दिया। 1916 ईसवी में गांधीजी ने अहमदनगर के निकट साबरमती आश्रम की स्थापना की और गाँधी इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ 1942 में प्रस्तुत क्रिप्ट प्रस्ताव को गांधीजी ने पोस्ट डेटेड चेक कहा था । 8 अगस्त 1942 को प्रारम्भ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही गांधीजी ने करो या मारो का नैरा दिया था । 1931 में लन्दन में हुए द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी ने कांग्रेस का नेतृत्व किया था । गांधीजी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना के समय किया था । और गांधीजी का समाधी स्थल स्थित है दिल्ली में राजघाट नमक स्थल पर , तथा विस्टन चर्चिल ने गांधीजी को अर्धनग्न फ़क़ीर कहा था । तो हमने इस पाठ में गांधीजी के कार्यकाल में घाटी सम्पूर्ण महत्वपूर्ण बाते और घटनावो का विश्लेषणात्मक अभ्यास इस पाठ में हमने किया है ।


 

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